Thursday, November 6, 2025
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तुर्की की आंख में धूल झोंक रहा पाकिस्तान, अफगानिस्तान से शांति वार्ता के बीच तोड़ा सीजफायर


पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तुर्की के इस्तांबुल में तीसरे दौर की वार्ता चल रही है. इस बीच अफगानिस्तान ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन कर उसके ठिकानों पर गोलीबारी की है.

अफगान अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तानी सेनाओं ने गुरुवार को अफगानिस्तान के कंधार प्रांत के स्पिन बोल्डक जिले में सीमा चौकियों पर गोलीबारी की, जबकि दोनों पक्षों के बीच तीसरे दौर की वार्ता इस्तांबुल में शुरू हो रही थी. 

सरकारी सूत्र ने बताया कि पाकिस्तानी सेनाओं ने दो बार गोलीबारी की और दो बार मोर्टार दागे. पहली बार सुबह और दूसरी बार दोपहर में. सूत्रों का कहना है कि लेकिन अफगानिस्तान ने सीजफायर के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए किसी तरह की जवाबी कार्रवाई नहीं की. इन हमलों के पीछे का उद्देश्य अभी स्पष्ट नहीं है.

अफगानिस्तानी सेना के प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद ने पुष्टि की कि पाकिस्तानी सेनाओं ने सीमावर्ती इलाके में फायरिंग की. लेकिन अफगान सेनाओं ने बातचीत का सम्मान करते हुए जवाबी कार्रवाई नहीं की.

बता दें कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान एक बार फिर बातचीत की मेज पर लौट आए हैं. तुर्की के इस्तांबुल में आज पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच तीसरे दौर की बातचीत शुरू हो गई है. तुर्की और कतर के संयुक्त प्रयासों के तहत तीसरे दौर की वार्ता चल रही है. इस मौके पर दोनों देशों के प्रतिनिधि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच के तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं.

यह वार्ता दो दिनों तक चल सकती है. तीसरे दौर की इस वार्ता के लिए लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मलिक पाकिस्तान के डेलिगेशन की अगुवाई करेंगे, जिसमें आईएसआई के महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी इस्ताबुंल में हैं. वहीं, अफगानिस्तान की ओर से जीडीआई अब्दुल हक वासेक, उपगृहमंत्री रहमतुल्लाह नजीब, तालिबान के प्रवक्ता सुहेल शाहीन, अनस हक्कानी सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.

पाकिस्तानी सेना का कहना है कि हम अभी भी हमारे रुख पर कायम हैं. हमारी मांग है कि अफगानिस्तान की जमीं का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के खिलाफ नहीं होना चाहिए.

बता दें कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पहले दौर की शांति वार्ता 19 अक्टूबर को हुई थी. लेकिन यह सफल नहीं रही. इसके बाद 25 से 28 अक्टूबर तक तुर्की के इस्तांबुल में दूसरी दौर की चार दिनों की वार्ता पूरी तरह विफल रही, क्योंकि कोई ठोस समझौता नहीं हो सका.

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