छठ पूजा का वक्त है, दिल्ली में श्रद्धालु यमुना किनारे जुटने लगे हैं. लेकिन ताजा आंकड़े बताते हैं कि यमुना की हालत अभी भी पूरी तरह नहीं सुधरी. यहां ऊपर के हिस्से में पानी थोड़ा साफ हुआ है मगर दिल्ली के बीच और दक्षिणी इलाकों में अब भी गंदगी बरकरार है.
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के आंकड़ों के मुताबिक पानी में जैविक प्रदूषण की मात्रा बताने वाला बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) अक्टूबर में ITO ब्रिज के पास 20 mg/L दर्ज किया गया. इसकी सुरक्षित सीमा सिर्फ 3 mg/L है. यानी कई हिस्सों में पानी नहाने या धार्मिक इस्तेमाल के लायक नहीं है.
बता दें कि लोकेशन के हिसाब से बड़ा फर्क देखने को मिला. जहां पल्ला (2.5 mg/L) और वजीराबाद (3 mg/L) जैसे इलाकों में, जहां से यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है, पानी लगभग सुरक्षित सीमा में था, वहीं नीचे की ओर जाकर आंकड़े तेजी से बढ़ गए.
देखें डेटा
ISBT के पास 22 mg/L
ITO ब्रिज पर 20 mg/L
निजामुद्दीन के पास 23 mg/L
ओखला में 21 mg/L.
ये आंकड़ा बताता है कि तमाम सफाई अभियानों के बावजूद कुछ इलाके प्रदूषण हॉटस्पॉट बने हुए हैं.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस सुधार को लेकर X (Twitter) पर एक पोस्ट में कहा कि यमुना अब छठ पूजा से पहले लगातार चल रहे क्लीन-अप मिशन की सफलता को दिखा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार का मिशन है. यमुना को फिर से साफ और बहती हुई नदी बनाना.
मुख्यमंत्री ने सफाईकर्मियों, वॉलंटियर्स और एजेंसियों की तारीफ करते हुए इसे एक दिखने वाला बदलाव बताया हालांकि विपक्ष ने इन दावों को दिखावटी बताया. आप और कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार का ये क्लीनिंग ड्राइव असली पर्यावरण संरक्षण नहीं बल्कि राजनीतिक स्टंट है.
उनका कहना है कि नदी की सफाई के बजाय सिर्फ अस्थायी तालाब बनाकर फोटो ऑप किए जा रहे हैं. ये पूरा ऑपरेशन दिल्ली-एनसीआर में बिहारी वोटर्स को लुभाने के लिए किया गया है क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव करीब हैं.
जैसे-जैसे छठ पूजा के व्रत और अनुष्ठान शुरू हो रहे हैं, यमुना नदी एक बार फिर भक्ति और बहस दोनों का प्रतीक बन गई है. ऊपरी हिस्सों में साफ दिख रही यमुना, दिल्ली के भीतर इलाकों में अब भी अपनी गंदगी का बोझ उतार नहीं पाई है.
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